Auswahl der wissenschaftlichen Literatur zum Thema „कहानि“

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Zeitschriftenartikel zum Thema "कहानि"

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Gurjar, Prem Singh. „The tragedy of Dalit life in the story 'Mohandas'“. RESEARCH HUB International Multidisciplinary Research Journal 9, Nr. 3 (25.03.2022): 54–57. http://dx.doi.org/10.53573/rhimrj.2022.v09i03.009.

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In the story 'Mohandas' written by Uday Prakash, there is a very poignant depiction of grief, mental torture, struggle, annoyance, helplessness and helplessness. The story of the barbarism, immorality and downfall of the autocratic rulers is told very briefly in this long story. But being told very clearly, it gives a sharp edge to the poignancy of the story. This story is the story of the blunting of human sensibilities, the degradation of humanity. Strengthening the tradition of Hindi long story, this story depicts the real picture of our society and stays in the mind for a long time after reading. This story is so influential that for the first time in its history, the Sahitya Akademi made a story the basis of its honor. Abstract in Hindi Language: उदय प्रकाश लिखित कहानी ‘मोहनदास’ में दुःख, मानसिक प्रताड़ना, संघर्ष, खीज, बेबसी और लाचारी का बड़ा मार्मिक चित्रण हुआ है। इस लंबी कहानी में निरंकुश शासकों की बर्बरता, अनैतिकता और पतन की कथा बहुत संक्षेप में कही गई है। परंतु बहुत स्पष्ट रूप से कही जाने के कारण कहानी की मार्मिकता को तीखी धार देती हैं। यह कहानी मानवीय संवेदना के कुंद होने की, मनुष्यता के क्षरण की कहानी है। हिंदी की लम्बी कहानी की परंपरा को मजबूती देती यह कहानी हमारे समाज की यथार्थ तस्वीर दर्शाती है और पढ़ने के बाद एक लंबे समय तक जेहन में रहती है। यह कहानी इतनी प्रभावशाली है कि साहित्य अकादमी ने अपने इतिहास में पहली बार किसी एक कहानी को अपने सम्मान का आधार बनाया। Keywords:दलित, त्रासदी, बुद्धि-लब्धि, हरिजन, नवबौद्ध, भूमिहीन, यायावर।
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Gaur, Neelam. „Analytical analysis of the stories of Anamika's 'Pratinayak' collection“. RESEARCH HUB International Multidisciplinary Research Journal 10, Nr. 2 (28.02.2023): 85–89. http://dx.doi.org/10.53573/rhimrj.2023.v10n02.018.

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The only short story collection of 'Anamika' was published in the year 1979 from 'Pratinayak' Vidya Prakashan, Kanpur. There are a total of 11 stories in this collection. In the book Anamika: An Evaluation edited by Abhishek Kashyap, Anamika expresses her views on the future of the story, saying – “Jaan hai to jahaan hai. If there is a man then there is a story. Every man is a moving story. Batras and Gapashtak are also part of the three-fourth water element from which this world is made. How will the world run without a story. Katha Kosh records all the good and bad shadows of everyone's good deeds and bad deeds, be it in a poem or a story, it is the Praja Kosh of the people in the story. Akshay deposit account of our Manisha.”1 It can be said that the story is the most popular genre among the genres of Hindi prose. The reason for this is that the story is related to the life of the individual and the society. In the words of Anamika - “The novel is a big battlefield or playground, in which different classes, castes, genders, sects try their side, but the story also creates a counter-world of selected moments. The quickness of the story calls for the skill of miniature painting—it is not so easy to create focus in a small space.”2 Abstract in Hindi Language: ‘अनामिका’ का एक मात्र कहानी संग्रह ‘प्रतिनायक’ विद्या प्रकाशन, कानपुर से सन् 1979 में प्रकाशित है। इस संग्रह में कुल 11 कहानियाँ हैं। अभिषेक कश्यप द्वारा सम्पादित पुस्तक अनामिका: एक मूल्यांकन में अनामिका कहानी के भविष्य पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहती हैं-“जान है तो जहान है। आदमी है तो कहानी है। हर आदमी एक चलती-फिरती कहानी तो है ही। बतरस और गपाष्टक भी उस तीन चैथाई जल-तत्व का हिस्सा है, जिससे यह दुनिया बनी है। बिना कहानी की दुनिया चलेगी भी कैसे। नेकियाँ-बदनामियाँ सबकी सब भली-बुरी परछाइयाँ कथा कोष ही दर्ज करता है, कविता में हो या कहानी में वही जनता का प्रजा-कोष है कहानी में। हमारी मनीषा का अक्षय जमा खाता।”1 कहा जा सकता है कि हिंदी गद्य की विधाओं में कहानी ही सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। इसका कारण है कहानी का व्यक्ति-समष्टि जीवन से जुड़ा होना। अनामिका के शब्दों में-“उपन्यास एक बड़ी युद्धभूमि या लीलाभूमि है, जिसमें अलग-अलग वर्ग, वर्ण, लिंग, सम्प्रदाय अपना पक्ष आजमाते हैं, पर चुनिंदा क्षणों का एक प्रतिसंसार तो कहानी भी रचती है। कहानी की क्षिप्रता मिनिएचर पेंटिंग का कौशल चाहती है-थोड़े से स्पेस में फोकस पैदा करना इतना आसान नहीं।”2 Keywords: आर्थिक संकट, अनीश्वरवाद, व्यक्ति-समष्टि, फोरमैन, एस.डी.ओ.।
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Kumari, Sunita. „Social consciousness in Kamleshwar's stories“. RESEARCH HUB International Multidisciplinary Research Journal 9, Nr. 7 (31.07.2022): 39–43. http://dx.doi.org/10.53573/rhimrj.2022.v09i07.010.

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Nayi Kahani awardee and promoter of the contemporary story movement, Kamleshwar is one of those storytellers of the post-independence era, who along with reinforcing the Premchand tradition, has given various dimensions to the Hindi story, has given it a new stage. In fact, Allahabad has an important place in the development of his literary journey. He writes – “My birthplace Mainpuri could not leave me. I could not leave Allahabad. In moments of despair, Allahabad can give me shelter." Abstract in Hindi Language: नयी कहानी के पुरस्कर्ता और समकालीन कहानी आंदोलन के प्रवर्तक कमलेश्वर स्वातंत्र्योत्तर युग के उन कहानिकारों में से हैं जिन्होंने प्रेमचंद परंपरा को पुष्ट करने के साथ-साथ हिंदी कहानी को विविध आयाम दिये हैं, नए पड़ाव दिये हैं। वस्तुतः उनकी साहित्यिक यात्रा के विकास में इलाहाबाद का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वे लिखते हैं-“मैनपुरी मेरा जन्मस्थान मुझसे छूटता नहीं था । इलाहाबाद मुझसे छोड़ा नहीं जाता था। निराशा के क्षणों में इलाहाबाद मुझे पनाह दे सकता है।” Keywords: सामाजिक चेतना, मध्यवर्गीय जीवन, संवेदना, शिल्प, सामाजिक प्रतिबद्धता, समकालीन।
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singh, Anita, und Dr Abhay Shankar Dwivedi. „Story-description of Dharamveer Bharti's novel: Gunanon Ka Devta“. International Journal of Multidisciplinary Research Configuration 2, Nr. 1 (28.01.2022): 115–19. http://dx.doi.org/10.52984/ijomrc2113.

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प्रस्तुत शोध पत्र में धर्मवीर भारती के उपन्यास गुणहो के देवता का कथावस्तु विश्लेषण किया गया है। गॉड ऑफ गुनाओं' रोमांटिक भावनाओं पर आधारित एक उपन्यास है। इस उपन्यास में चंदर और सुधा के युवा मन की कोमल भावना, भावुकता और आदर्शवादी प्रेम है, दूसरी ओर खंडित नैतिकता और लुप्त होते सपनों का दर्द भी है। उपन्यास अपने समय में बहुत लोकप्रिय था इसकी लोकप्रियता का कारण जादुई रोमांस के साथ कहानी का सरल निर्माण है। प्रमुख शब्द: रोमांटिक, युवा, कोमल-भावनाएं, भावुक प्रेम
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Garg, Sushma. „Women empowerment in the story Vidha of Hindi literature“. RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 7, Nr. 10 (13.10.2022): 175–78. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2022.v07.i10.021.

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The rise and fall in the status of women in the Indian society is probably not seen in any other society in the history of the world. Change is the eternal law of nature. With the change of time, the restrictions made for women are getting relaxed to a great extent. Along with the spread of education, women are trying to stand equal to men in every field, but no matter how much the family attitude has changed, still women in our society do not have the freedom to voluntarily, for themselves. You can choose the field of your choice. On the other hand, women are discriminated on the basis of gender in the society. But at present women are challenging every situation by being empowered themselves. Women empowerment has appeared in both positive and negative forms in the story genre of current Hindi literature. Abstract in Hindi Language: भारतीय समाज में नारी की स्थिति में जितना आरोह व अवरोह रहा है, सम्भवतः विश्व के इतिहास के किसी दूसरे समाज में यह स्थिति देखने को नहीं मिलेगी। परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है। समय परिवर्तन के साथ-साथ महिलाओं के लिए बने प्रतिबन्धों में काफी हद तक शिथिलता आती जा रही है। शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ महिलाएँ हर क्षेत्र में पुरूषों के समकक्ष आ खड़ी होने को उद्यत हैं, किंतु कितना ही पारिवारिक दृष्टिकोण परिवर्तित क्यों न हुआ हो, फिर भी हमारे समाज में महिलाओं को यह स्वतंत्रता नहीं है कि वे स्वेच्छा से, अपने लिए मनचाहे क्षेत्र का चुनाव कर सकें। दूसरी ओर समाज में महिला के साथ लिंग के आधार पर भेदभाव किया जाता है। परंतु वर्तमान में नारी स्वयं सशक्त होकर प्रत्येक परिस्थिति को चुनौती दे रही है। महिला सशक्तिकरण वर्तमान हिन्दी साहित्य की कहानी विधा में सकरात्मक व नकारात्मक दोनों रूपों में ही प्रकट हुआ है। Keywords: महिला सशक्तिकरण, कहानी, कामकाजी, समाज, शोषण, आधुनिक सोच व पुरूष प्रधान समाज।
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Garg, Sushma. „Expression of love portrayed in Mannu Bhandari's story 'Shamshaan'“. RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 7, Nr. 4 (15.04.2022): 104–8. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2022.v07.i04.015.

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When the book Mannu Bhandari's best love stories was studied by the researcher, it was found that in the love made by his characters in the stories of Mannu Bhandari, a very lively and beautiful depiction of the social story truth, time truth, and craft truth of the society was expressed. Has happened. The story world of his love is very simple and meaningful, which exposes many links of human heart, how the worldly creature accepts the feeling of love in different forms. By the way, love in all her stories in this book is in different forms such as 'this is the truth', the emotional truth of love in the story, the romance and loneliness of love in the height story, the truth with closed doors, the entanglement of female doubt and pain in the stories. The painting is so simple and beautiful that it seems that the characters of his stories are standing in front of us in real form. Abstract in Hindi Language: शोधार्थी द्वारा जब मन्नू भंडारी की श्रेष्ठ प्रेम कहानियाँ पुस्तक का अध्ययन किया गया तो पाया गया कि मन्नू भंडारी की कहानियों में उनके पात्रों द्वारा किए गए प्रेम में समाज के सामाजिक कथा सत्य, समय सत्य, व शिल्प सत्य का बहुत ही सजीव व सुन्दर चित्रांकन अभिव्यक्त हुआ है। उनके प्रेम का कथा संसार बहुत ही सहज व सार्थक है, जोकि मानव के अन्र्तमन की बहुत सी कड़ियों को उजागर करता है, कि किस तरह से सांसारिक प्राणी विभिन्न रुपों में प्रेम भाव को ग्रहण करता है। वैसे तो इस पुस्तक में उनकी सभी कहानियों में प्रेम विभिन्न रुपों में जैसे कि ’यही सच है, कहानी में प्रेम का भावनात्मक सत्य, ऊँचाई कहानी में प्रेम का रोमांस व अकेलापन, बंद दरवाजों के साथ सत्य कहांनियों में नारी संदेह की अन्र्तव्यथा व पीड़ा का इतना सहज व सुन्दर चित्रांकन है कि लगता है कि उनकी कहानियों के पात्र साकार रुप जीवन्त होकर, हमारे सामने खडे़ है। Keywords: लौकिकता, भावनात्मक सत्य, प्रतीकात्मक रूप व्यंग्यात्मक स्वर, आघ्यात्मिक भावना, जिजीविषा।
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Radhwani, Kukanta, und Anita Singh. „Conflict of married women in stories of Manu Bhandari“. International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 6, Nr. 5 (31.05.2018): 54–58. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v6.i5.2018.1425.

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Manu Bhandari is a socialist writer of the post-independence era. His writings have the unique ability to catch macro and subtle changes coming in the society on the right surface. The effect of changes is always double - external and internal. One influence crushes a person from inside, and the other society gives equal support in making life hollow. The writer has raised the problems of married life on a double level, in her story she has depicted the subtle process of changing the relationship between the male-female traditional macro relationship. Manu Bhandari considers woman to be indispensable with the man in life, but she is not blind to her husband nor should she carry out the work of a housewife, only a machine. She also rivals her husband in political life to fulfill her principles, ideals and even marries or remarries when she feels alienated from her husband. Manu Bhandari creates various forms of woman in her story with full ease and seriousness to her modern woman, not as a woman draped by traditions, carrying the burden of slavery and slavery. मन्नू भंडारी स्वातंत्रोत्तर काल की समाजधर्मी लेखिका हैं। समाज में आने वाले स्थूल और सूक्ष्म परिवर्तनों को सही धरातल पर पकड़ने की अपूर्व क्षमता उनकी लेखनी में है। परिवर्तनों का प्रभाव सदा ही दोहरा होता है - बाह्य और आतंरिक। एक प्रभाव व्यक्ति को अंदर से कुरेदता है तो दूसरा समाज जीवन को खोखला बना देने में बराबर सहयोग पहुँचाता है। लेखिका ने दांपत्य-जीवन की समस्याओं को दोहरे स्तर पर उठाया है, उन्होंने अपनी कहानी में नारी-पुरुष परंपरागत स्थूल संबंध में बदलते संबंध की सूक्ष्म प्रक्रिया का चित्रण किया है। मन्नू भंडारी नारी जीवन में पुरुष के साथ को अनिवार्य मानती है लेकिन वह पति की अंधनुगामी नहीं है और न ही गृहिणी के दायित्व का निर्वाह करने वाली काम चलाऊ, मशीन मात्र। अपने सिद्धांतों, आदर्शों की पूर्ति के लिए वे राजनीतिक जीवन में भी पति की प्रतिद्वंदिता करती है और पति से अलगाव महसूस होने पर विवाह-विच्छेद या पुनर्विवाह भी करती है। मन्नू भंडारी अपनी कहानी में नारी के विविध स्वरूपों को रचकर उसके आधुनिक नारी को पूरी सहजता और संजीदगी के साथ उकेरती है, न की परंपराओं से दबी, कुचली और गुलामी का भार ढोती हुई नारी के रूप में।
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K.P., Ushakumari. „PSYCHOLOGY IN YASHPAL'S NOVELS“. International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 8, Nr. 12 (05.01.2021): 225–27. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v8.i12.2020.2769.

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English: Yashpal's literature is an expression of revolutionary sentiments and ideas. His literature is placed on the ground of reality, in which the struggle of generations and the interruption of social life is highlighted. Being a true Marxist litterateur, he is an advocate of the "Art for Life". He successfully ran his pen in all the disciplines of literature such as story, novel, montage, travelogue, translation, essay. Yashpal is the second revolutionary novelist after Premchand. His major novels are 'Dada Comrade', 'Deshadrohi', 'Divya', 'Party Comrade', 'Man's Form', 'Anita', 'Jhutha-Sach', 'Twelve Hours' and 'Why How'? . Hindi: यषपाल का साहित्य क्रांतिकारी भावों और विचारों का अभिव्यक्त रूप है । उनका साहित्य यथार्थ की धरती पर रखा गया है, जिसमें पीढ़ियों का संघर्ष और सामाजिक जीवन का अन्तर्द्धन्द्ध मुखरित है । एक सषक्त माक्र्सवादी साहित्यकार होने के नाते वे ‘‘कला जीवनके लिए” मत के समर्थक हैं । उन्होनें साहित्य की सभी विधाओं जैसे कहानी, उपन्यास, एकांकी, यात्रावर्णन, अनुवाद, निबन्ध में अपनी कलम सफलतापूर्वक चलायी । प्रेमचन्द के उपरांत यषपाल ही दूसरे क्रांतिकारी उपन्यासकार हैं। ‘दादा कामरेड’, ’देषद्रोही’, ’दिव्या’, ‘पार्टी कामरेड’, ‘मनुष्य के रूप’, ‘अनिता’, ‘झुठा-सच’, ‘बारह घंटे’ तथा ‘क्यों कैसे’?, आदि उनके प्रमुख उपन्यास हैं ।
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Sharma, Seema, und Abha Tiiwari. „ENVIRONMENTAL PROTECTION AND HUMAN SENTIMENT IN TODAY'S CONTEXTS“. International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 3, Nr. 9SE (30.09.2015): 1–2. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v3.i9se.2015.3273.

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Human and nature complement each other. Man's life is not possible without nature i.e. environmental protection. He abandoned the idea of ​​conservation, exploiting nature due to the autism thinking of man. Felling trees, polluting rivers, drying wells, fumes and dusty dust, air filled with pesticide poison, are telling the story of man's dry sensation.We are all children of nature. Our body is made of five elements: land, air, water, sky and fire. These five elements are the environment. If one of them is polluted, then human life is also affected. मानव एवं प्रकृति एक दूसरे के पूरक हैं। मनुष्य का जीवन प्रकृति अर्थात् पर्यावरण संरक्षण के बिना संभव नहीं है। मनुष्य की आत्मकेंद्रित सोच के कारण प्रकृति का दोहन करते हुए उसने संरक्षण का विचार त्याग दिया। कटते हुए वृक्ष, प्रदूषित होती हुई नदियाँ, सूखते हुए कुँए, धुँए और धूलका गुबार बनती हुई हवा, कीटनाशकों के जहर से भरी हुई खाद्य सामग्री, मनुष्य की सूखती हुई संवेदना की कहानी कह रहे हैं। हम सब प्रकृति की संतान है। पँचतत्वों से निर्मित है, हमारा शरीर: भूमि, वायु, जल, आकाश एवं अग्नि। ये पाँच तत्व ही पर्यावरण हैं। इनमंे से एक भी यदि प्रदूषित होता है तो मानव जीवन भी प्रभावित होता है।
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त्रिपाठी, योगेन्द्र प्रसाद, und प्रीती भारती*. „भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी की नई पहल“. Humanities and Development 17, Nr. 2 (08.12.2022): 89–94. http://dx.doi.org/10.61410/had.v17i2.76.

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विश्व की अधिकांश जनसंख्या ग्रामों में निवास करती है और विश्व इतिहास में ग्रामों के निर्माण की कहानी उस समय से प्रारंभ होती है, जब मानव ने घुमंतू जीवन छोड़कर एक स्थान पर रहकर कृषि कार्य प्रारंभ किया। भारत प्रारंभ से ही गांवों का देश रहा है। जिसकी आजीविका कृषि पर आधारित है किंतु वर्तमान समय में भारत के ग्रामीण क्षेत्र काफी समृद्ध हो चुके हैं। यहां बसने वाले प्रत्येक नागरिक में शिक्षा के प्रति थोड़ी बहुत जागरूकता है एवं कृषि कार्यों को उन्नत बनाने के लिए नई-नई प्रौद्योगिकियों के ज्ञान का भी पूर्ण रूप से प्रयोग किया जा रहा है। मानव जीवन में नई-नई जागरूकता को लाने में प्रौद्योगिकीकरण का बड़ा योगदान रहा है। वर्तमान में प्रौद्योगिकी में होने वाले परिवर्तनों ने समाज के सभी क्षेत्रों में नई दिशाएं प्रदान की है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र भी महत्वपूर्ण है। भारत आज ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का मजबूत केंद्र बनता जा रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी देश के विकास की सीढ़ी है, देश को विकास की धारा से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम क्योंकि पलक झपकते हर पल की खबर इस माध्यम से प्राप्त हो जाती है। आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जो इससे अछूता हो। सूचना प्रौद्योगिकी का वास्तविक अर्थ सूचना तैयार करने, एकत्र करने, प्रोसेस करने, भंडारित करने और उसे प्रदान करने के साथ इन सब को संभव बनाने वाली प्रक्रियाओं और यंत्रों से है।
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Bücher zum Thema "कहानि"

1

नई कहानी , पुराने किरदार ! Self, 2022.

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2

Parchhaiyan (Kahani Sangrah / परछाइयाँ (कहानी संग्रह). Notion Press, 2022.

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Buchteile zum Thema "कहानि"

1

Knapczyk, Kusum, und Peter Knapczyk. „एक प्रेम कहानी“. In Reading Hindi: Novice to Intermediate, 173–78. Routledge, 2020. http://dx.doi.org/10.4324/9780429274091-37.

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2

Knapczyk, Kusum, und Peter Knapczyk. „सिमरन की छोटी-सी कहानी“. In Reading Hindi: Novice to Intermediate, 39–44. Routledge, 2020. http://dx.doi.org/10.4324/9780429274091-10.

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3

Knapczyk, Kusum, und Peter Knapczyk. „एक आम की ख़ास कहानी“. In Reading Hindi: Novice to Intermediate, 92–97. Routledge, 2020. http://dx.doi.org/10.4324/9780429274091-20.

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